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इन्हें मत रूठने देना || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2018)

2020-04-09 0 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br />शब्दयोग सत्संग, 13.11.18, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत<br /><br />प्रसंग: <br />कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और।<br />हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर॥<br /><br />अर्थ: संत कबीर दास जी कहते हैं कि जो मनुष्य जो गुरु के महत्व को नहीं समझते हुए गुरु का अनादर करता है वह नेत्र होते हुए भी नेत्रहीन के सामान ही है, क्योंकि यदि ईश्वर आपका साथ नहीं देते हैं तो गुरु आपको राह दिखा कर उस परिस्थिति से निकाल सकते हैं परंतु यदि गुरु ने ही साथ छोड़ दिया तो इस पृथ्वी पर और कोई सहारा नहीं मिल सकता।<br />~ गुरु कबीर<br /><br />~ गुरु के रूठने का क्या अर्थ होता है?<br />~ गुरु को कैसे मनाएँ? <br />~ किसको नहीं रुठने देना चाहिए? <br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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